ग्रह किसे कहते हैं, ग्रहों के नाम और उनकी व्याख्या
हमारे विशाल ब्रह्मांड में अनेक खगोलीय पिंड हैं जिनमें से ग्रह सबसे रोचक और अध्ययन के योग्य हैं, ये विशाल पिंड सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और अपनी खुद की रोशनी नहीं रखते हुए सूर्य के प्रकाश से चमकते हैं. आइए, जानते हैं कि ग्रह किसे कहते हैं, उनके प्रकार क्या हैं और हमारे सौर मंडल के प्रमुख ग्रह कौन-कौन से हैं.
ग्रह किसे कहते हैं?
ग्रह एक ऐसा खगोलीय पिंड है जो किसी तारे की परिक्रमा करता है और अपने गुरुत्वाकर्षण बल के कारण गोलाकार या लगभग गोलाकार आकार का होता है, यह अपने पड़ोसी खगोलीय पिंडों की तुलना में काफी बड़ा होता है और अपने कक्ष के आसपास के क्षेत्र को अन्य पिंडों से मुक्त रखता है.
ग्रहों के प्रकार
हमारे विशाल ब्रह्मांड में अनेक रहस्यों से भरे हुए ग्रह हैं, इन ग्रहों को उनकी भौतिक संरचना के आधार पर मुख्यतः दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है.
1. चट्टानी ग्रह (Terrestrial Planets) - चट्टानी ग्रह मुख्य रूप से चट्टान और धातु से बने होते हैं और आकार में छोटे होते हैं, इनकी सतह ठोस होती है और इनमें वायुमंडल पतला होता है, हमारे सौरमंडल में बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल चट्टानी ग्रह हैं.
2. गैसीय ग्रह (Gas Giants) - गैसीय ग्रह मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम जैसी गैसों से बने होते हैं और आकार में बहुत बड़े होते हैं, इनमें कोई ठोस सतह नहीं होती है और इनके वायुमंडल बहुत घने होते हैं, हमारे सौरमंडल में बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेपच्यून गैसीय ग्रह हैं.
ग्रहों के नाम और उनकी व्याख्या
हमारे सौरमंडल में कुल 8 ग्रह है जिनके नाम और उनकी संक्षिप्त व्याख्या नीचे दी गई है.
बुध - सूर्य के सबसे निकट का ग्रह है, इसका कोई वातावरण नहीं है और यह बहुत छोटा है, बुध पर दिन बहुत गर्म और रात बहुत ठंडी होती है.
शुक्र - पृथ्वी का सबसे निकट का ग्रह है, इसे पृथ्वी की जुड़वां बहन भी कहा जाता है, शुक्र पर वातावरण बहुत घना है और यह सौरमंडल का सबसे गर्म ग्रह है.
पृथ्वी - हमारा घर है, यह एकमात्र ग्रह है जहां जीवन है, पृथ्वी पर पानी और ऑक्सीजन है जो जीवन के लिए जरूरी हैं.
मंगल - इसे लाल ग्रह भी कहा जाता है, मंगल पर पानी होने के संकेत मिले हैं, वैज्ञानिकों का मानना है कि भविष्य में मंगल पर मानव बस्ती बसाई जा सकती है.
बृहस्पति - सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है, यह ज्यादातर गैसों से बना है, बृहस्पति पर एक बड़ा लाल धब्बा है.
शनि - अपने छल्लों के लिए जाना जाता है, यह भी एक गैसीय ग्रह है, शनि के छल्ले बर्फ और चट्टान के छोटे-छोटे टुकड़ों से बने हैं.
अरुण - सूर्य के चारों ओर अपनी धुरी पर लेटा हुआ घूमता है, अरुण एक बहुत ठंडा ग्रह है.
वरुण - सौरमंडल का सबसे दूर का ग्रह है, वरुण एक बहुत ही ठंडा और अंधेरा ग्रह है.
अब तक आपने जाना कि ग्रह किसे कहते हैं, आइये अब सौरमंडल के ग्रहों के क्रम के बारे में जानते हैं.
सूर्य से दूरी के क्रम में ग्रहों के नाम क्या हैं?
सूर्य से दूरी के बढ़ते क्रम में ग्रहों का क्रम इस प्रकार है - बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण. बुध सूर्य के सबसे निकट है और वरुण सबसे दूर, यह क्रम सूर्य से ग्रहों की औसत दूरी पर आधारित है.
बढ़ते आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम
ग्रहों के आकार को उनके व्यास से मापा जाता है, बढ़ते हुए व्यास के अनुसार ग्रहों का क्रम इस प्रकार है - बुध, मंगल, शुक्र, पृथ्वी, नेप्च्यून, यूरेनस, शनि और बृहस्पति. बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है, जबकि बुध सबसे छोटा है.
घनत्व के अनुसार बढ़ते क्रम में ग्रहों के नाम
घनत्व किसी पदार्थ के एक इकाई आयतन में द्रव्यमान का माप होता है, घनत्व के बढ़ते क्रम में ग्रहों का क्रम इस प्रकार है - शनि, बृहस्पति, यूरेनस, नेप्च्यून, मंगल, पृथ्वी, शुक्र और बुध. बुध सौरमंडल का सबसे घना ग्रह है, जबकि शनि सबसे कम घना है.
घटते क्रम में द्रव्यमान के अनुसार ग्रहों के नाम
द्रव्यमान किसी वस्तु में पदार्थ की मात्रा का माप होता है, घटते हुए द्रव्यमान के अनुसार ग्रहों का क्रम इस प्रकार है - बृहस्पति, शनि, यूरेनस, नेप्च्यून, पृथ्वी, शुक्र, मंगल और बुध, बृहस्पति सौरमंडल का सबसे भारी ग्रह है, जबकि बुध सबसे हल्का है.
परिक्रमण वेग के अनुसार बढ़ते क्रम में ग्रहों के नाम
परिक्रमण वेग किसी ग्रह द्वारा सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने में लगने वाला समय है, परिक्रमण वेग के बढ़ते क्रम में ग्रहों का क्रम इस प्रकार है - वरुण, नेप्च्यून, यूरेनस, शनि, बृहस्पति, मंगल, पृथ्वी, शुक्र और बुध, बुध सूर्य के चारों ओर सबसे तेजी से परिक्रमा करता है, जबकि वरुण सबसे धीमी गति से परिक्रमा करता है.
परिभ्रमण वेग के अनुसार बढ़ते क्रम में ग्रहों के नाम
परिभ्रमण वेग किसी ग्रह द्वारा अपने अक्ष पर एक चक्कर लगाने में लगने वाला समय है, परिभ्रमण वेग के बढ़ते क्रम में ग्रहों का क्रम इस प्रकार है - शुक्र, बुध, पृथ्वी, मंगल, यूरेनस, नेप्च्यून, शनि और बृहस्पति. बृहस्पति अपने अक्ष पर सबसे तेजी से घूमता है, जबकि शुक्र सबसे धीमी गति से घूमता है.
अपने अक्ष पर झुकाव के आधार पर बढ़ते क्रम में ग्रहों के नाम
ग्रहों का अक्ष झुकाव उनके घूर्णन अक्ष और सूर्य की ओर खींची गई रेखा के बीच का कोण है, अपने अक्ष पर झुकाव के बढ़ते क्रम में ग्रहों का क्रम इस प्रकार है - शुक्र, बुध, पृथ्वी, मंगल, नेप्च्यून, यूरेनस, शनि और बृहस्पति. बृहस्पति का अक्ष झुकाव सबसे अधिक है, जबकि शुक्र का अक्ष झुकाव सबसे कम है.
उपग्रह क्या हैं?
उपग्रह वे खगोलीय पिंड हैं जो किसी बड़े पिंड, जैसे ग्रह या तारे के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, हमारे चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है, उपग्रह प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकते हैं, प्राकृतिक उपग्रह चट्टानी या बर्फीले हो सकते हैं, जबकि मानव निर्मित उपग्रह संचार, मौसम विज्ञान या अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए उपयोग किए जाते हैं.
क्षुद्रग्रह किसे कहते हैं?
क्षुद्रग्रह असंख्य छोटे पिंड होते हैं जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं, इनका आकार कुछ मीटर से लेकर कई सौ किलोमीटर तक हो सकता है, अधिकांश क्षुद्रग्रह मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच एक पट्टी में पाए जाते हैं, जिसे क्षुद्रग्रह पट्टी कहते हैं.
उल्का पिंड किसे कहते हैं?
उल्का पिंड अंतरिक्ष से पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने वाले छोटे खगोलीय पिंड होते हैं, जब ये पिंड वायुमंडल से घर्षण करते हैं, तो वे गर्म होकर चमकने लगते हैं, जिसे हम उल्का कहते हैं, अगर कोई उल्का पूरी तरह से जल नहीं पाता और पृथ्वी की सतह पर गिर जाता है, तो उसे उल्कापिंड कहते हैं.
बौने ग्रह किसे कहते हैं?
बौने ग्रह एक खगोलीय पिंड है जो सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाता है, लेकिन यह एक ग्रह के सभी मानदंडों को पूरा नहीं करता है, प्लूटो एक बौना ग्रह का सबसे प्रसिद्ध उदाहरण है, बौने ग्रहों को ग्रहों से मुख्य रूप से इसलिए अलग किया जाता है क्योंकि वे अपने कक्ष के आसपास के क्षेत्र को अन्य पिंडों से मुक्त नहीं कर पाते हैं.
क्या प्लूटो एक ग्रह है?
पहले, प्लूटो को हमारे सौरमंडल का नौवाँ ग्रह माना जाता था, लेकिन गहन अध्ययन के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि प्लूटो अकेला नहीं हैै, इसके आसपास कई बर्फीले पिंड भी सूर्य की परिक्रमा करते हैंं, इन पिंडों को कुइपर बेल्ट कहा जाता है.
एक ग्रह को अपनी कक्षा पर हावी होना चाहिए, यानी वह अपनी कक्षा में सबसे बड़ा पिंड होना चाहिए और आसपास के पिंडों के पथ को प्रभावित करना चाहिए, प्लूटो ऐसा नहीं कर पाता क्योंकि उसके आसपास कई अन्य पिंड हैं.
इसलिए, वैज्ञानिकों ने प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह की श्रेणी में रख दिया, बौना ग्रह भी एक खगोलीय पिंड है, लेकिन यह ग्रह जितना बड़ा या महत्वपूर्ण नहीं होता है, अब हमारे सौरमंडल में आठ ग्रह माने जाते हैं और प्लूटो को एक बौना ग्रह का दर्जा दिया गया हैै.
सौरमंडल के ग्रह और उनके उपग्रह
हमारे सौरमंडल में विभिन्न प्रकार के ग्रह और उपग्रह हैं, प्रत्येक ग्रह की अपनी अनूठी विशेषताएं हैं.
बुध और शुक्र - ये हमारे सौरमंडल के सबसे भीतरी ग्रह हैं, इन दोनों ही ग्रहों का कोई उपग्रह नहीं है, बुध सूर्य के सबसे नजदीक है और इसकी सतह पर बहुत सारे गड्ढे हैं, शुक्र को पृथ्वी की बहन ग्रह भी कहा जाता है.
पृथ्वी - पृथ्वी हमारा घर है और इसका एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा है, चंद्रमा पृथ्वी से दिखने वाला सबसे चमकीला पिंड है, यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है.
मंगल - मंगल को लाल ग्रह भी कहा जाता है, मंगल के दो छोटे उपग्रह हैं, फोबोस और डीमोस, ये दोनों ही उपग्रह आकार में बहुत छोटे हैं और मंगल के बहुत करीब हैं.
बृहस्पति - बृहस्पति सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है, बृहस्पति के 95 से अधिक ज्ञात उपग्रह हैं, गैनीमिड सौरमंडल का सबसे बड़ा उपग्रह है, आयो ज्वालामुखी गतिविधियों के लिए जाना जाता है.
शनि - यह ग्रह अपने छल्लों के लिए प्रसिद्ध है, शनि के 83 से अधिक ज्ञात उपग्रह हैं, टाइटन शनि का सबसे बड़ा उपग्रह है, इनसेलाडस पर पानी के फव्वारे देखे गए हैं.
अरुण और वरुण - अरुण और वरुण सौरमंडल के सबसे दूरस्थ विशालकाय ग्रह हैं, अरुण अपने अक्ष पर 90 डिग्री झुका हुआ है, अरुण के 27 ज्ञात उपग्रह है, वरुण के 14 ज्ञात उपग्रह हैं, ट्राइटन वरुण का सबसे बड़ा उपग्रह है.
प्लूटो - प्लूटो को अब बौना ग्रह माना जाता है, प्लूटो के पांच ज्ञात उपग्रह हैं, चाँद सबसे बड़ा उपग्रह है.
तारे और ग्रहों में अंतर
आकाश में चमकते हुए तारे और ग्रह अक्सर एक जैसे दिखते हैं, लेकिन इनमें कई बड़े अंतर होते हैं, आइए इन अंतरों को विस्तार से समझते हैं:
प्रकाश - तारे स्वयं प्रकाश उत्पन्न करते हैं, उनके अंदर परमाणु आपस में मिलकर बहुत अधिक ऊर्जा छोड़ते हैं, जिससे वे चमकते हैं, जबकि ग्रह स्वयं प्रकाश उत्पन्न नहीं करते हैं, वे सूर्य या किसी अन्य तारे से प्राप्त प्रकाश को परावर्तित करते हैं. जैसे चंद्रमा पृथ्वी से प्राप्त सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करता है.
आकार - तारे आमतौर पर ग्रहों की तुलना में बहुत बड़े होते हैं. उदाहरण के लिए, सूर्य हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा तारा है और इसमें पृथ्वी जैसे लाखों ग्रह समा सकते हैं, वहीं ग्रह आमतौर पर गोल या अंडाकार होते हैंं.
गति - तारे आकाश में बहुत धीरे-धीरे अपनी स्थिति बदलते हैंं, जबकि ग्रह किसी तारे के चारों ओर एक निश्चित पथ पर चक्कर लगाते हैं, पृथ्वी सूर्य के चारों ओर एक चक्कर लगाने में लगभग 365 दिन लेती है.
वायुमंडल - अधिकांश तारों में बहुत गर्म और घना वायुमंडल होता है, जबकि कुछ ग्रहों, जैसे पृथ्वी, में गैसों का एक आवरण होता है जिसे वायुमंडल कहा जाता है जो हमें सांस लेने में मदद करता है और हमें मौसम प्रदान करता है.
संरचना - तारे मुख्य रूप से हाइड्रोजन और हीलियम गैसों से बने होते हैं, ग्रहों की संरचना अलग-अलग होती है, कुछ ग्रह चट्टानी होते हैं, जैसे पृथ्वी और मंगल, जबकि कुछ गैसीय हैं, जैसे बृहस्पति और शनि.
संख्या - हमारी आकाशगंगा, मिल्की वे में अरबों तारे हैं, जबकि अभी तक हमने केवल कुछ हजार ग्रहों की खोज की हैै.
तापमान - तारे बहुत गर्म होते हैं, वहीं ग्रहों का तापमान बहुत अलग-अलग हो सकता है.
संक्षेप में, तारे स्वयं प्रकाश उत्पन्न करने वाले विशाल पिंड हैं, जबकि ग्रह सूर्य जैसे तारों से प्राप्त प्रकाश को परावर्तित करने वाले छोटे पिंड हैं.
एक्सोप्लैनेट क्या हैं?
एक्सोप्लैनेट वे ग्रह हैं जो हमारे सौरमंडल से बाहर स्थित अन्य तारों की परिक्रमा करते हैं, इन्हें एक्स्ट्रासोलर ग्रह भी कहा जाता है, अधिकांश खोजे गए एक्सोप्लैनेट हमारी आकाशगंगा में स्थित हैं, एक्सोप्लैनेट की खोज का पहला संकेत 1917 में मिला था, हालांकि इसे उस समय मान्यता नहीं मिली थी. 1988 में एक अलग ग्रह की खोज की पुष्टि हुई और 22 जून 2021 तक, 4,768 पुष्ट एक्सोप्लैनेट 3,527 ग्रह प्रणालियों में खोजे जा चुके हैं.
कृत्रिम उपग्रह क्या हैं?
कृत्रिम उपग्रह वे पिंड होते हैं जिन्हें पृथ्वी के वातावरण से ऊपर एक निश्चित ऊंचाई पर प्रक्षेपित किया जाता है और उन्हें पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए पर्याप्त वेग प्रदान किया जाता है, सरल शब्दों में, मानव द्वारा निर्मित और अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए किसी भी वस्तु को कृत्रिम उपग्रह कहा जाता है.
ग्रहों के उपनाम
आमतौर पर हम ग्रहों को उनके नाम से जानते हैं, लेकिन कुछ ग्रहों के लोकप्रिय उपनाम भी होते हैं जो उनकी विशिष्ट विशेषताओं के कारण दिए जाते हैं.
शुक्र (Venus) - इसे अक्सर "सांझ का तारा" या "सुबह का तारा" कहा जाता है क्योंकि यह अक्सर सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद सबसे चमकीला पिंड होता हैै.
मंगल (Mars) - इसे "लाल ग्रह" कहा जाता है क्योंकि इसकी सतह लाल लोहे के ऑक्साइड से ढकी हुई हैै.
बृहस्पति (Jupiter) - इसे "देवताओं का राजा" भी कहा जाता है, यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है और रोमन देवता जुपिटर के नाम पर रखा गया हैै.
शनि (Saturn) - इसे "रिंग्ड प्लैनेट" या "छल्ले वाला ग्रह" कहा जाता है क्योंकि इसके चारों ओर बड़े छल्ले हैं.
बुध (Mercury) - कभी-कभी इसे "फास्ट प्लैनेट" या "तेज ग्रह" कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य का सबसे निकटतम ग्रह है और सबसे तेजी से सूर्य की परिक्रमा करता हैै.
यूरेनस (Uranus) - इसे "आइस जॉयंट" या "बर्फीला विशालकाय" कहा जाता है क्योंकि यह मुख्य रूप से बर्फ और चट्टान से बना है.
नेप्च्यून (Neptune) - इसे "आइस जायंट" भी कहा जाता है और यह सौरमंडल का सबसे दूर का ग्रह है.
FAQ Section: Grah kise kahate hain
प्रश्न - ग्रह टिमटिमाते क्यों नहीं हैं?
उत्तर - तारे हमें टिमटिमाते हुए इसलिए दिखाई देते हैं क्योंकि पृथ्वी का वायुमंडल उनके प्रकाश को लगातार मोड़ता रहता है, यह मोड़ना लगातार बदलता रहता है, जिससे तारे हमें टिमटिमाते हुए नजर आते हैं. लेकिन ग्रह पृथ्वी के काफी करीब होते हैं, इसलिए पृथ्वी का वायुमंडल उनके प्रकाश को तारों के प्रकाश की तुलना में कम मोड़ता है, इसी कारण ग्रह हमें स्थिर दिखाई देते हैं.
प्रश्न - सबसे निकटतम एक्सोप्लैनेट कौन सा है?
उत्तर - प्रॉक्सिमा सेंटॉरी बी हमारे सौर मंडल के सबसे नज़दीकी एक्सोप्लैनेट है, यह पृथ्वी से लगभग 4.2 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है, यह अपने तारे, प्रॉक्सिमा सेंटॉरी के इतना करीब है कि इसका एक साल पृथ्वी के 11 दिनों के बराबर होता है.
प्रश्न - क्या सूर्य के करीब ग्रह तेजी से गति करते हैं?
उत्तर - जी हां, सूर्य के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं, सूर्य के करीब के ग्रहों पर सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल अधिक होता है, इसलिए उन्हें सूर्य के चारों ओर तेजी से घूमना पड़ता है, यह उसी तरह है जैसे एक डोरी से बंधे पत्थर को जब आप केंद्र के करीब लाते हैं तो उसे तेजी से घूमना पड़ता है.
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निष्कर्ष: ग्रह किसे कहते हैं, ग्रहों के नाम और उनकी व्याख्या
ब्रह्मांड की विविधता इतनी असीम है कि जीवन के अनेक रूपों की संभावनाओं को जन्म देती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि हम शायद अकेले नहीं हैं, नए ग्रहों की खोज न केवल पृथ्वी की उत्पत्ति और विकास के बारे में हमारी समझ को गहरा करती है बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण के नए क्षितिज खोलती है.
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