गुरुत्वाकर्षण क्या है और गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है
गुरुत्वाकर्षण उस बल को कहते हैं जो दो द्रव्यमान को एक दूसरे की ओर खींचते हैं ब्रह्मांड में जितने भी पदार्थ मौजूद हैं वह सभी एक दूसरे पर गुरुत्वाकर्षण लगाते हैं, गुरुत्वाकर्षण एक ऐसा बल होता है जो हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करता है.
हमारे आसपास हो रही सभी दैनिक गतिविधियां विज्ञान का एक हिस्सा है, विज्ञान में हम सामान्य रूप से तीन तरह के विज्ञान के बारे में पढ़ते हैं, जिसमें से आज हम गुरुत्वाकर्षण के बारे में बात करने वाले हैं.
इस लेख में हम गुरुत्वाकर्षण क्या है, इसके कार्य, इसके प्रभाव, इसकी खोज और इसके कई सारे विभिन्न पहलुओं पर बात करेंगे, जिससे कि हमे गुरुत्वाकर्षण को अच्छी तरह से समझने में मदद मिलेगी।
गुरुत्वाकर्षण क्या है
ब्रह्मांड में स्थित प्रत्येक पिण्ड अपने द्रव्यमान के कारण प्रत्येक दूसरे पिण्ड को अपनी और आकर्षित करता है, पिण्डों के आकर्षण के इस गुण को गुरुत्वाकर्षण कहते हैं.
अगर इससे भी साधारण शब्दों में गुरुत्वाकर्षण की परिभाषा समझा जाए तो हम यह कह सकते हैं कि गुरुत्वाकर्षण एक ऐसा बल होता है, जो सभी चीजों को एक दूसरे की ओर खींचता है
इसे और अच्छी तरह से समझने के लिए हम इसके कुछ उदाहरणों को देखते हैं, जैसे हर वह वस्तु जिसे हम ऊपर की ओर उछालते या फेंकते हैं वे वापस जमीन पर ही जाकर गिरती है यह गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही होता है, यदि गुरुत्वाकर्षण बल ना हो तो वस्तु हवा में ही रह जाएगी.
इसके साथ ही यह गुरुत्वाकर्षण बल सभी जगह सामान्य भी नहीं पाया जाता है, ब्रह्मांड में स्थित प्रत्येक पिंड अपने द्रव्यमान के कारण ही प्रत्येक दूसरे पिंड को अपनी ओर आकर्षित करता है ये सभी गुरुत्वाकर्षण बल के ही उदाहरण हैं.
गुरुत्वाकर्षण बल न केवल पृथ्वी और ब्रह्मांड के बीच पाए जाने वाला बल होता है बल्कि यह इस ब्रह्मांड में हर पदार्थ में मौजूद है.
हम सभी ने कभी ना कभी छलांग तो लगाई ही होगी या बच्चे को उड़ने की कोशिश करते हुए देखा तो होगा परंतु वे उड़ नहीं पाते, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जमीन पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण बल उन्हें नीचे की ओर खींच लेता है जिसके कारण वह जमीन पर आकर गिर जाते हैं.
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जिस वस्तु का द्रव्यमान अधिक होता है उस वस्तु का गुरुत्वाकर्षण भी अधिक होता है और पृथ्वी का द्रव्यमान व्यक्तियों से बहुत अधिक होता है और इसीलिए पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण भी बहुत अधिक होता है.
हम बचपन से पढ़ते आ रहे हैं कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है परंतु कभी यह सोचा है, कि इसका क्या कारण होता है जिसकी वजह से पृथ्वी ही सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है?
इसका कारण यह है कि सूर्य का द्रव्यमान पृथ्वी से कई गुना ज्यादा होता है जिसकी वजह से पृथ्वी को सूर्य अपनी ओर खींचता है और पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती हैं.
हम उस वस्तु या पदार्थ का गुरुत्वाकर्षण बल महसूस कर सकते हैं जो हमारे बहुत नजदीक है, यही कारण है कि हमें पृथ्वी पर मौजूद गुरुत्वाकर्षण बल महसूस होता है क्योंकि पृथ्वी हमारे बहुत नजदीक है.
गुरुत्वाकर्षण की खोज किसने की और कैसे?
गुरुत्वाकर्षण की खोज आइजैक न्यूटन ने सन् 1666 में की थी. 1666 में जब प्लेग नामक बीमारी फैली तब न्यूटन कॉलेज में पढ़ते थे, परंतु बीमारी फैलने के कारण कई सारे स्कूलों और कॉलेजों को बंद कर दिया गया था, इसीलिए वे बगीचे में जाकर एक सेब के पेड़ के नीचे बैठकर धरती और चंद्रमा के बारे में सोच रहे थे।
अचानक पेड़ से एक सेब गिरा और वह सीधे न्यूटन के सर पर जाकर गिरा, सेब को देखकर न्यूटन का दिमाग बहुत तेजी से चला और वे सोचने लगे की यह सेब नीचे ही क्यों आया?
यह सेब ऊपर भी तो जा सकता था, वह इस सवाल को गहराई से सोचने लगे और इस सोच ने एक नए विज्ञान को जन्म दिया. कई सालों तक इस पर रिसर्च करने के बाद न्यूटन ने बताया कि पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण नाम की एक शक्ति है जो हर एक वस्तु को अपनी ओर खींचती है.
इसी बल के कारण चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है और पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है, उन्होंने बताया कि यह बल दूरी बढ़ने के साथ ही घटता जाता है.
गुरुत्वाकर्षण बल को पृथ्वी का केंद्र भी माना जाता है इसलिए पृथ्वी हर चीज को अपनी ओर खींचने लगती हैं, पृथ्वी किसी वस्तु को कितनी शक्ति से खींचेगी इसका मान उस वस्तु के द्रव्यमान पर निर्भर करता है.
गुरुत्वाकर्षण कैसे कार्य करता है?
न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार दो वस्तुओं के बीच में एक आकर्षण बल काम करता है, अगर इन दोनों वस्तुओं में से कोई एक वस्तु पृथ्वी हो तो इस आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण कहा जा सकता है.
आसान शब्दों में गुरुत्व बल उस आकर्षण बल को कहते हैं जिससे पृथ्वी किसी भी वस्तु को अपने केंद्र की ओर खींचती है, इस बल से त्वरण उत्पन्न होता है, जिसे गुरुत्व जनित त्वरण (g) कहते हैं, जिसका मान 9.8m/s^2 होता है.
अब तक हमने यह जाना कि गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है अब हम यह जानेंगे कि गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव क्या है?
गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव क्या है?
गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव को समझने के लिए हमें सबसे पहले g के मान को समझना होगा, g का मान वस्तु के आकार, रुप या द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है बल्कि निम्न स्थितियों में इसके मान में परिवर्तन होता है.
पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर g का मान बढ़ता है - जब पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ेगी तो g का मान भी बढ़ेगा यह गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव के कारण ही होता है।
g का अधिकतम मान पृथ्वी के ध्रुव पर होता है - ग्रेविटी का मान पृथ्वी के ध्रुव पर अधिक होता है क्योंकि पृथ्वी का आकार ना तो बिल्कुल गोल है और ना ही पूरा चपटा।
पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर g का मान घट जाता है - जैसे ही आप पृथ्वी के केंद्र से ऊपर जाते हैं वैसे ही पृथ्वी के केंद्र से दूरी बढ़ती है और पृथ्वी की सतह से ऊपर या नीचे जाने पर मान घट जाता है.
पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ाने पर g का मान घटता है - जब पृथ्वी घूमती है तो इसके middle भाग में आउटवर्ड फोर्स होती है, एयर फोर्स गुरुत्वाकर्षण बल के विरुद्ध काम करती है जिस के कारण पृथ्वी की घूर्णन गति बढ़ने पर ग्रेविटी का मान घटता है.
g का न्यूनतम मान विषुवत रेखा पर होता है - विषुवत रेखा पर पृथ्वी की केंद्रीय गति के कारण केंद्रीय बल सबसे अधिक होती है जिस कारण ग्रेविटी का न्यूनतम मान विषुवत रेखा पर होता है.
गुरुत्वाकर्षण और भार में क्या अंतर है?
गुरुत्वाकर्षण और भार में अंतर समझने के लिए हमें सबसे पहले गुरुत्वाकर्षण के द्रव्यमान को समझना होगा. किसी वस्तु में जितने पदार्थ को भरा जा सकता है यानी की the amount of matter present in the body that is called mass उसे हम द्रव्यमान कहते हैं।
उदाहरण के लिए यदि आप एक बड़ी कटोरी और एक छोटी कटोरी लेते हैं और छोटी कटोरी में 100 ग्राम चावल आता है और बड़ी कटोरी में 200 ग्राम चावल आता है तो यह, उन दोनों कटोरियों का द्रव्यमान होगा, यह द्रव्यमान हर परिस्थिति में सामान्य ही रहेंगे, यानी कि धरती पर या चांद पर कहीं भी वस्तु का द्रव्यमान सामान्य ही होगा.
तो अब हम भार के बारे में जानते हैं, भार द्रव्यमान और गुरुत्वाकर्षण पर निर्भर करता हैं, भार द्रव्यमान और गुरुत्वाकर्षण दोनों के गुना करने पर निकलता है, साथ ही भार की स्थिति परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है, यानी की धरती पर वस्तु का भार अलग होगा और चांद पर वस्तु का भार अलग होगा.
अर्थात इसका सूत्र है, W=mg
शून्य गुरुत्वाकर्षण क्या होता है और इसका अनुभव कैसा होता है?
शून्य गुरुत्वाकर्षण वह होता है जिसमें शरीर पर गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात गुरुत्वाकर्षण का बल शरीर पर काम नहीं करता है, सामान्य रूप से यह कक्षा के अंतरिक्ष यात्रियों से जुड़ा होता है, अब तो कोई भी व्यक्ति परवलयिक उड़ानों के जरिए शून्य गुरुत्वाकर्षण का अनुभव कर सकता है.
शून्य गुरुत्वाकर्षण को अनुभव करने का एक और तरीका है, इसका उपयोग कुत्ते, बिल्लियों समेत अन्य जानवरों और इंसानों पर भी किया गया है, जिसके द्वारा आप भारहिनता के प्रभावों के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं.
बात की जाए इसके अनुभव की तो शून्य गुरुत्वाकर्षण उड़ानें पेशेवर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बहुत ही आवश्यक प्रशिक्षण के बिना अंतरिक्ष पर्यटन का अनुभव करने का एक शानदार तरीका है, इसे अधिकांश लोग पूरा कर सकते हैं और यह सुरक्षित नई गतिविधि है, जो की बहुत मजेदार है जिसको कि बहुत कम लोगों ने अनुभव किया है।
विमान में आपको कई सारी चीज करने को दी जाती है जैसे की ये हवाई जहाज के अंदर उड़ान भरने, अलग-अलग पोज बनाने और अपने परिवार जनो और दोस्तों को दिखाने के लिए एक बेहतरीन फोटो खींचने का अवसर दिया जाता है, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले सालों में शून्य गुरुत्वाकर्षण के अनुभव को आक्रामक रूप से बढ़ा दिया जाए।
अन्य ग्रहों पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की तुलना में कैसा होता है?
अन्य ग्रहों पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी की तुलना में बहुत ही अलग होता है, जब ग्रहों के द्रव्यमान भिन्न होते हैं, तो उनकी सतहों पर गुरुत्वाकर्षण की ताकत भी भिन्न होती है.
पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण 9.80665 मीटर/सेकंड 2 ( या 32.174 फीट/सेकंड² ) के बराबर है। इसका मतलब यह है कि अगर किसी वस्तु को ज़मीन से ऊपर रखें और छोड़ दिया जाए, तो वह हर सेकंड के लिए सतह की ओर लगभग 9.8 मीटर की गति से बढ़ेगी.
यह अन्य ग्रहों पर गुरुत्वाकर्षण मापने का मानक है. अब हम एक-एक करके अन्य ग्रहों के गुरूत्वाकर्षण के बारे में जानेंगे,
Sun - 274 m/s2
Mercury - 3.7 m/s2
Venus - 8.87 m/s2
Earth - 9.81 m/s2
Mars - 3.71 m/s2
Jupiter - 24.92 m/s2
Saturn - 10.44 m/s2
Uranus - 8.69 m/s2
Neptune - 11.15 m/s2
Pluto - 0.62 m/s2
गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों का उपयोग कहां-कहां होता है?
गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों का उपयोग कई सारे क्षेत्र में किया जाता है. अब हम उन सभी क्षेत्रों को कुछ बिंदुओं के द्वारा जानेंगे.
- गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का उपयोग करके हम अंतरिक्ष में वस्तुओं की गति और स्थिति की गणना करते हैं, जैसे कि उपग्रह और ग्रहों की कक्षाएं.
- गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत का उपयोग करके हम समुद्र विज्ञान के ज्वार भाटा और धाराओं की गणना कर सकते हैं।
- गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों का उपयोग करके हम जीपीएस प्रणाली के स्थान की सटीकता की गणना कर सकते हैं।
- गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों का उपयोग करके हम पृथ्वी की संरचना और उनके आंतरिक भागों का अध्ययन कर सकते हैं।
- गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों का उपयोग विमान, मिसाइलो की गति और मार्गदर्शन प्रणालियों में किया जाता है.
- गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों का उपयोग करके हम विभिन्न प्रकार के उपकरणों और मशीनों के डिजाइन को उपयोग में ला सकते हैं, साथ ही गुरुत्वाकर्षण की मदद से हमें इन उपकरणों और मशीनों में विकास देखने को मिल सकता है.
- गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांतों का उपयोग करके हम देखते हैं कि हमारे दैनिक जीवन में हम जितनी भी वस्तुएं ऊंचाई से उछालते हैं वह सभी नीचे जाकर गिरती है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण अपना पूरा बल लगाकर उस वस्तु को अपनी ओर खींचता है.
गुरुत्वाकर्षण के बारे में कुछ रोचक तथ्य क्या है?
गुरुत्वाकर्षण के बारे में यह रोचक तथ्य है कि गुरुत्वाकर्षण के बारे में अभी भी कई सारी ऐसी बातें हैं जो की किसी को नहीं पता, इसके बारे में हमारे वैज्ञानिक अधिक से अधिक जानकारी की तलाश में है.
गुरुत्वाकर्षण अन्य बलों की तुलना में इतना शक्तिशाली नहीं है परंतु इसका प्रभाव अधिक है.
गुरुत्वाकर्षण अंतरिक्ष में काम करता है जहां कोई हवा या माध्यम काम नहीं करता है.
गुरुत्वाकर्षण समय को धीमा या तेज कर सकता है जिसे गुरुत्वाकर्षण विलंब कहा जाता है.
गुरुत्वाकर्षण का उपयोग नेविगेशन के लिए किया जाता है और गुरुत्वाकर्षण का उपयोग आप सटीक गणना करने के लिए भी कर सकते हैं.
गुरुत्वाकर्षण का उपयोग जल विद्युत ऊर्जा के लिए किया जाता है इससे लोग पानी से बिजली उत्पन्न कर सकते हैं.
गुरुत्वाकर्षण के बिना आपके शरीर में भी गड़बड़ी होने लगेगी.
गुरुत्वाकर्षण से आप प्रकाश को भी मोड सकते हैं.
आप जैसे ही अपनी गति बढ़ाते हैं वैसे ही गुरुत्वाकर्षण की वजह से आपका वजन बदल जाता है.
गुरुत्वाकर्षण और क्वांटम यांत्रिकी कभी भी एक साथ नहीं चलते.
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FAQ: गुरुत्वाकर्षण क्या है और गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है
प्रश्न- गुरुत्वाकर्षण बल का अर्थ क्या है?
उत्तर- गुरुत्वाकर्षण बल का अर्थ है वह बल जो दो द्रव्यमान को एक दूसरे की और खींचता है, साथ ही यह गुरुत्वाकर्षण बल सभी जगह सामान्य भी नहीं पाया जाता है, ब्रह्मांड में स्थित प्रत्येक पिंड अपने द्रव्यमान के कारण प्रत्येक दूसरे पिंड को जिस बल से अपनी ओर आकर्षित करता है उसे गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं.
प्रश्न- गुरुत्वाकर्षण बल कहाँ लगता है?
उत्तर- गुरुत्वाकर्षण बल सौर्य मंडल में लगता है जिसके द्वारा सूर्य और अन्य ग्रह एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, यह बह ताकत होती है जिसकी वजह से हर चीज को धरती अपनी और खींचती है.
प्रश्न- पृथ्वी पर 0 गुरुत्वाकर्षण कहाँ है?
उत्तर- शून्य गुरुत्वाकर्षण वह होता है जिसमें शरीर पर गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है अर्थात गुरुत्वाकर्षण का बल शरीर पर काम नहीं करता है, सामान्य रूप से यह कक्षा के अंतरिक्ष यात्रियों से जुड़ा होता है, पृथ्वी पर जीरो गुरुत्वाकर्षण को अनुभव करने के लिए हमारे पास 32 फीट (9.8 मीटर) प्रति सेकंड वर्ग का गुरुत्वाकर्षण क्षेत्र है.
प्रश्न- गुरुत्वाकर्षण बल का दूसरा नाम क्या है?
उत्तर- गुरुत्वाकर्षण बल का दूसरा नाम गैर-संपर्क बल है, इसे हम गैर-संपर्क बल के नाम से भी जानते हैं, जिसका अर्थ है एक दूसरे पर वह बल लगाने वाली वस्तुओं को ऐसा करने के लिए स्पर्श करना की आवश्यकता नहीं है।
निष्कर्ष : गुरुत्वाकर्षण क्या है और गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है
गुरुत्वाकर्षण एक प्राकृतिक बल होता है जो सभी वस्तुओं को एक दूसरे की ओर आकर्षित करता है. यह बल एक दूसरे के द्रव्यमान और उसकी दूरी पर निर्भर करता है।
आज के इस लेख में हमने आपको गुरुत्वाकर्षण क्या होता है और यह कैसे काम करता है, गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत क्या है आदि जैसे कई प्रकार के प्रश्नों के द्वारा गुरुत्वाकर्षण के बारे में विस्तृत जानकारी बताई है, उम्मीद है ये जानकारी आपको पसंद आई होगी.
अद्भुद जानकारी
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