ऋतु किसे कहते हैं और ऋतु कितनी होती हैं?

सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की परिक्रमा के दौरान, पृथ्वी की सतह तक पहुँचने वाले सूर्य के प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन होता रहता है, यही बदलाव, जो पृथ्वी के विभिन्न भागों में अलग-अलग समय पर होता है, पृथ्वी पर विभिन्न ऋतुओं का कारण बनता है.

वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शीत - ये छह ऋतुएँ प्रकृति का अद्भुत वरदान हैं, प्रत्येक ऋतु अपने साथ एक अनोखा सौंदर्य, रंगों का त्योहार और जीवन का उत्साह लेकर आती है.

Ritu kise kahate hain

स्वागत है दोस्तों, ऋतुओं की रंग भरी दुनिया में! आज हम इस नए और रोचक लेख में ऋतु किसे कहते हैं और ऋतु कितनी होती हैं के बारे में जानेंगे, लेख में अंत तक बने रहें और इस रोमांचक यात्रा का आनंद लें.

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ऋतुएँ (Rituye)

ऋतुओं का मतलब होता है मौसम के चक्र में आने वाले वो अलग-अलग समय जिनमें वातावरण में विशेष प्रकार का बदलाव होता है, ये बदलाव तापमान, वर्षा और हवा में नमी की मात्रा से जुड़े होते हैं.

ऋतु किसे कहते हैं (Ritu kise kahate hain)

ऋतु वर्ष का एक छोटा कालखंड होता है जिसमें मौसम की दशाएँ एक खास प्रकार की होती हैं, यह कालखंड एक वर्ष को कई भागों में विभाजित करता है, पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा के परिणामस्वरूप दिन की अवधि, तापमान, वर्षा, आर्द्रता इत्यादि मौसमी दशाएँ एक चक्रीय रूप में बदलती हैं, जिसके कारण ऋतुओं का निर्माण होता है.

ऋतु चक्र क्या है? (Ritu chakra kya hai)

ऋतु चक्र वर्ष का वह चक्र होता है जिसमें पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा करती है और अपनी धुरी पर घूमती है, इन दोनों गतिविधियों के परिणामस्वरूप, सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह पर अलग-अलग कोणों पर पड़ती हैं, जिससे दिन की अवधि, तापमान, वर्षा और हवाओं की दिशा में बदलाव होता है, ये बदलाव ऋतुओं का निर्माण करते हैं.

ऋतु चक्र कैसे होता है?

पृथ्वी की परिक्रमा - पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा लगभग 365 दिनों में एक बार करती हैै, इस परिक्रमा के दौरान, पृथ्वी सूर्य से कभी दूर और कभी करीब होती है, जब पृथ्वी सूर्य से करीब होती है तब उत्तरी गोलार्ध में गर्मी और दक्षिणी गोलार्ध में सर्दी होती है, जब पृथ्वी सूर्य से दूर होती है तब उत्तरी गोलार्ध में सर्दी और दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी होती है.

पृथ्वी का झुकाव - पृथ्वी अपनी धुरी पर 23.5 डिग्री झुकी हुई है, इस झुकाव के कारण, सूर्य की किरणें वर्ष भर में पृथ्वी की सतह पर अलग-अलग कोणों पर पड़ती हैं, जब उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है तब उत्तरी गोलार्ध में गर्मी और दक्षिणी गोलार्ध में सर्दी होती है, जब दक्षिणी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका होता है तब दक्षिणी गोलार्ध में गर्मी और उत्तरी गोलार्ध में सर्दी होती है.

ऋतु कितनी होती हैं ( Ritu kitni Hoti Hain)

प्रकृति का अद्भुत चक्र सदैव परिवर्तनशील रहता है, वर्ष के विभिन्न समयों में, हम तापमान, वर्षा, सूर्य की रोशनी और वनस्पतियों में बदलाव देखते हैं, इन बदलावों को ही ऋतुओं के नाम से जाना जाता है, भारतीय संस्कृति में छह ऋतुओं का उल्लेख है, इन छह ऋतु के नाम और जानकारी इस प्रकार है - 

बसंत ऋतु (फरवरी - मार्च)

फरवरी महीने में, ठंडी हवाओं का प्रकोप कम होने लगता है, धूप धीरे-धीरे तेज होती है और दिन भी बड़े होने लगते हैं, पतझड के बाद झड़ चुके पेड़ों पर फिर से नए पत्ते आने लगते हैं, कुछ फूल, जैसे कि गुलाब, सूरजमुखी, और गेंदा, इसी महीने में खिलना शुरू करते हैंं.


मार्च महीने में, मौसम और भी सुहावना हो जाता है, ठंड लगभग पूरी तरह से चली जाती है और गर्मी का एहसास होने लगता है, दिन अब काफी बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं, इस महीने में कई तरह के रंग-बिरंगे फूल खिलने लगते हैं, जो वातावरण को खुशबू से भरते हैंं.

इन दोनों महीनों में, कई त्योहार और कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जैसे कि बसंत पंचमी, महाशिवरात्रि, होली और धुलंडी, ये त्योहार लोगों में उत्साह और उमंग भर देते हैं और जीवन में उत्सव लाते हैं.

ग्रीष्म ऋतु (अप्रैल - जून)

अप्रैल महीने में, गर्मी धीरे-धीरे बढ़ने लगती है, दिन बड़े हो जाते हैं और रातें छोटी हो जाती हैं, हवा में सुगंध फैलने लगती है क्योंकि आम, लीची और खरबूजे जैसे फल पकने लगते हैं. लोग हल्के कपड़े पहनने लगते हैं और बाहर घूमने का आनंद लेते हैं.


मई महीने में, गर्मी का प्रकोप थोड़ा बढ़ जाता है, धूप तीखी होती है और दिन भी सबसे लंबे होते हैं, इस महीने में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जैसे अक्षय तृतीया, बुद्ध पूर्णिमा, ईद और वैशाखी.

जून महीने में, मानसून का आगमन होता है, बारिशें शुरू होने से मौसम सुहावना हो जाता है, धरती हरी-भरी हो जाती है और चारों तरफ पानी ही पानी दिखाई देता है, इस महीने में निर्जला एकादशी, गुरु पूर्णिमा जैसे त्योहार मनाए जाते हैं.

इन तीनों महीनों में, प्रकृति का सौंदर्य देखते ही बनता है, पेड़ों पर हरे-भरे पत्ते और रंग-बिरंगे फूल खिले होते हैं, खेतों में फसलें लहलहा रही होती हैं.

वर्षा ऋतु (जुलाई - सितंबर)

जुलाई महीने में, मानसून पूरे देश में फैल जाता है, बारिशें तेज होती हैं और नदियां-नाले उफनने लगते हैं, जुलाई में प्रकृति अपनी पूरी शान में होती है, हरी-भरी धरती, झरने का कलरव, नदियों का उफान मन को मुग्ध करते हैं.


अगस्त महीने में, बारिशें थोड़ी कम हो जाती हैं लेकिन मौसम अभी भी सुहावना रहता है, पेड़ों पर नए पत्ते उग जाते हैं और खेतों में फसलें लहलहाने लगती हैं, इस महीने में स्वतंत्रता दिवस, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार मनाए जाते हैं.

सितंबर महीने में, मानसून धीरे-धीरे कम होने लगता है, धूप धीमी-धीमी निकलने लगती है और बारिश के कारण धरती हरी-भरी हो जाती है और पेड़-पौधे हरे-भरे हो जाते हैं.

जुलाई, अगस्त और सितंबर महीनों में खुशियों, उत्सवों और प्रकृति के सौंदर्य का अद्भुत संगम होता है, यह वो दौर होता है जब जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है और मन आनंद से भर जाता है.

शरद ऋतु (अक्टूबर - नवंबर)

अक्टूबर महीने में, शरद ऋतु का आगमन होता है, पेड़ों पर पीले और लाल पत्ते उगने लगते हैं, हवा में ठंडक महसूस होने लगती है, इस महीने में दशहरा, दुर्गा पूजा और दीपावली जैसे त्योहार मनाए जाते हैं.


नवंबर महीने में, ठंड धीरे-धीरे बढ़ने लगती है, दिन और भी छोटे होने लगते हैं और रातें और भी लंबी, इस महीने में गुरु नानक जयंती, गोवर्धन पूजा और भाई दूज जैसे त्योहार मनाए जाते हैंं.

इन दो महीनों में, प्रकृति का सौंदर्य अद्भुत होता है, पेड़ों पर रंग-बिरंगे पत्ते देखते ही बनते हैंं, हवा में ठंडक और सुगंध का एहसास होता है.

हेमंत ऋतु (दिसंबर - जनवरी)

दिसंबर के महीने में, सर्दियाँ आने लगती हैं, ठंडी हवाएँ चलने लगती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं, पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो जाती है, जिससे मौसम और भी ठंडा हो जाता है.


जनवरी के महीने में, सर्दी चरम पर होती है, इस महीने दिसम्बर से भी अधिक ठंड होती है, पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होती रहती है और मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएँ चलती हैं, इस महीने में दिन छोटे होते हैं और रातें लंबी होने के कारण लोग ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े पहनते हैं और अलाव जलाते हैं.

दिसंबर और जनवरी, ये दो महीने प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य से भरपूर होते हैं, ठंडी हवाओं का झोंका, रंग-बिरंगे पत्तों से सजे पेड़ और धरती पर बिछी ओस की बूंदें, सब मिलकर एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करते हैं.

शीत ऋतु (जनवरी - फरवरी)

जनवरी के महिने में, शीतकाल का चरम होते हुए भी, प्रकृति में बदलावों का अद्भुत नृत्य देखने को मिलता है, ठंड धीरे-धीरे कम होने लगती है और सूरज की किरणें धरती को छूने लगती हैं, जैसे-जैसे पृथ्वी सूर्य के थोड़ा करीब आने लगती है, हवाएं थोड़ी गर्म होने लगती हैं और ठंड का सितम कम होने लगता है.


फरवरी के महीने में, कड़ाके की ठंड धीरे-धीरे कम होने लगती है और फरवरी का महीना मां प्रकृति के चेहरे पर खिली-खिली मुस्कान लेकर आता है, 'ठंडी हवाओं' की जगह अब हल्की-हल्की 'सुबह की हवाएं' लेने लगती हैं जो मन को मोह लेती हैं, मानो प्रकृति भी इस बदलाव का आनंद ले रही हो.

जनवरी और फरवरी ये दो महीने प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य से भरपूर होते हैं, ठंडी हवाओं का झोंका, नग्न पेड़ों का सौंदर्य, धरती पर बिछी ओस की बूंदें, शांत वातावरण, प्रकृति के चिंतन मनन का अवसर, आत्मविश्लेषण के क्षणों से भरे महीने हैं.

इस तरह ऋतुओं का चक्र निरंतर चलता रहता है, हर ऋतु अपने आप में खास होती है और प्रकृति को नया रूप प्रदान करती है.

अब तक आपने जाना कि ऋतु किसे कहते हैं और ऋतु कितनी होती हैं अब चलिए ऋतुओं के महत्व को भी जान लेते हैं.

ऋतु चक्र का महत्व (Ritu chakra ka mahatva)

ऋतु चक्र प्रकृति का एक अद्भुत चक्र है जो जीवन को गतिशील और संतुलित रखता है, यह छह ऋतुओं - वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शीत - का क्रमबद्ध परिवर्तन है, ऋतुओं का यह चक्र न केवल प्रकृति को सुंदरता प्रदान करता है, बल्कि मानव जीवन, जीव-जंतुओं और पर्यावरण को भी अनेक प्रकार से प्रभावित करता है.

ऋतु चक्र कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, प्रत्येक ऋतु में जलवायु, तापमान और दिनों की लंबाई में बदलाव होता है, जो विभिन्न प्रकार की फसलों की बुवाई और कटाई के लिए अनुकूल होता है, ऋतुओं का चक्र जलवायु को संतुलित रखने में भी मदद करता है, गर्मियों में तापमान बढ़ने से वर्षा ऋतु में बारिश होती है, जो धरती को ठंडा करती है और जल संसाधनों को भरती है, ऋतु चक्र विभिन्न प्रकार के जीवों और वनस्पतियों के जीवन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

ऋतु चक्र मानव जीवन को भी अनेक प्रकार से प्रभावित करता है, विभिन्न ऋतुओं में लोगों के खानपान, वस्त्र और रहन-सहन में बदलाव होता है, ऋतुओं का चक्र अनेक त्योहारों और सांस्कृतिक आयोजनों का आधार है.

ऋतुओं का मानवीय जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, विभिन्न ऋतुओं में कृषि कार्य, खानपान, वस्त्र, त्यौहार और रीति-रिवाजों में बदलाव होता है, ऋतुओं के अनुसार ढलकर जीना मनुष्य को स्वस्थ और प्रसन्न रहने में मदद करता है.

ऋतु प्रवास क्या है? (Ritu pravas kise kahate hain)

ऋतु प्रवास, जिसे पशुपालन या खानाबदोश के नाम से भी जाना जाता है, यह पशुओं को चराई के लिए मौसमी रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की प्रथा है, यह प्रवास प्राकृतिक जलवायु चक्र के अनुसार होता है, जहाँ पशुपालक अपने पशुधन को गर्मियों में ऊँचे चरागाहों और सर्दियों में निचली घाटियों में ले जाते हैंं.


FAQ Section: Ritu kise kahate hain हिन्दी में

प्रश्न - ऋतु परिवर्तन किसे कहते हैं?
उत्तर - पृथ्वी का सूर्य के चारों और घूमना और अपने अक्ष पर झुके हुए होकर घूमना ही ऋतु परिवर्तन कहलाता है.

प्रश्न - ऋतु परिवर्तन का क्या कारण है?
उत्तर - पृथ्वी का अक्षीय झुकाव पृथ्वी पर पड़ने वाली सूर्य की किरणों को प्रभावित करता है, इस झुकाव के कारण पृथ्वी का एक गोलार्द्ध छह महीने तक और दूसरा गोलार्द्ध अगले छह महीने तक सूर्य की ओर झुका रहता है, यह क्रम अनवरत चलता रहता है जिसके कारण ऋतुओं का निर्माण होता है.

प्रश्न - ऋतुओं का जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर - ऋतुओं का जीवन पर अनेक प्रभाव पड़ते हैं, ऋतुओं के अनुसार विभिन्न प्रकार के फल, फूल, सब्जियाँ उगते हैं, ऋतुओं के अनुसार ही लोग अपने भोजन, वस्त्र और रहन-सहन में बदलाव करते हैं, ऋतुओं का मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

निष्कर्ष: ऋतु किसे कहते हैं और ऋतु कितनी होती हैं?

प्रत्येक ऋतु जीवन की विविधता का अनुभव कराती है, वसंत ऋतु में रंगों का त्योहार होता है, ग्रीष्म ऋतु में प्रचंड ऊर्जा का संचार, वर्षा ऋतु में जीवनदायिनी वर्षा होती है, शरद ऋतु में सोने की चादर बिछ जाती है और शीत ऋतु में शांति और मौन का आनंद मिलता है. 

ऋतुओं के बदलते रंग, मौसम और तापमान विभिन्न प्रकार के जीवों के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करते हैं, जिसके फलस्वरूप धरती पर जीवन की अद्भुत विविधता देखने को मिलती है. 

इस लेख में आपने जाना ऋतु क्या होती है, ऋतु चक्र क्या होता है, भारत में ऋतु कितने प्रकार की होती है, और ऋतु चक्र का क्या महत्व है आदि.

उम्मीद है आपको Ritu kise kahate hain Or Ritu kitni hoti hai लेख पसंद आया होगा. आप इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर करें.

Comments

  1. Mohan Kumar Singh10:09 AM

    जानकारी पूर्ण आर्टिकल, धन्यवाद

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