तरंगदैर्ध्य किसे कहते हैं, इसका सूत्र और Si मात्रक क्या है

हमारे दैनिक जीवन में ध्वनि, प्रकाश और अन्य कई तरह की तरंगें हमेशा मौजूद रहती हैं, इन तरंगों की एक महत्वपूर्ण विशेषता होती है, जिसे तरंगदैर्ध्य कहते हैं.

इस लेख में हम तरंगदैर्ध्य के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे, हम जानेंगे कि Tarang dhairya kise kahate hain aur iska si matrak kya hai, इसके अलावा, हम यह भी समझेंगे कि तरंगदैर्ध्य, आवृत्ति और ध्वनि की चाल के बीच क्या गणितीय संबंध होता हैै.

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तरंगदैर्ध्य किसे कहते हैं?

तरंगदैर्ध्य किसी भी तरंग (जैसे प्रकाश की किरण, ध्वनि तरंग) में दो क्रमागत शिखरों (या दो क्रमागत गर्तों) के बीच की दूरी होती है. उदाहरण के लिए:

Tarang dhairya kise kahate hain

समुद्र की लहरें - दो क्रमागत लहरों के सबसे ऊंचे बिंदुओं के बीच की दूरी ही उस लहर का तरंगदैर्ध्य है.

ध्वनि तरंगें - ध्वनि तरंगों में दबाव के उच्चतम बिंदुओं (शिखर) के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य होती हैै.

प्रकाश की किरणें - विभिन्न रंगों के प्रकाश की किरणों की तरंगदैर्ध्य अलग-अलग होती है, बैंगनी रंग की प्रकाश की किरण की तरंगदैर्ध्य सबसे कम होती है, जबकि लाल रंग की प्रकाश की किरण की तरंगदैर्ध्य सबसे अधिक होती है.

तरंगदैर्ध्य का SI मात्रक

तरंगदैर्ध्य किसी तरंग के दो क्रमागत शिखरों (crests) या दो क्रमागत गर्तों (troughs) के बीच की दूरी को कहते हैं, यह एक महत्वपूर्ण भौतिक राशि है जिसका उपयोग ध्वनि, प्रकाश, और अन्य प्रकार की तरंगों का अध्ययन करने में किया जाता है.

तरंगदैर्ध्य का SI मात्रक मीटर (m) होता है, मीटर लंबाई का एक मानक मात्रक है, और चूंकि तरंगदैर्ध्य भी एक लंबाई है, इसलिए इसे मीटर में मापना तार्किक है.

तरंगदैर्ध्य को दर्शाने के लिए ग्रीक अक्षर लैम्ब्डा (λ) का उपयोग किया जाता है, उदाहरण के लिए, यदि किसी तरंग की तरंगदैर्ध्य 5 मीटर है, तो इसे λ = 5 m लिखा जाएगा.

विभिन्न प्रकार की तरंगों की तरंगदैर्ध्य अलग-अलग होती है. उदाहरण के लिए, रेडियो तरंगों की तरंगदैर्ध्य कई मीटर से लेकर कई किलोमीटर तक हो सकती है, जबकि दृश्य प्रकाश की तरंगदैर्ध्य कुछ सौ नैनोमीटर होती है.

तरंगदैर्ध्य का सूत्र

तरंगदैर्ध्य, तरंग की गति (v) और उसकी आवृत्ति (f) से संबंधित होती हैै, यह संबंध निम्न सूत्र से दिया जाता है:

λ = v / f

जहाँ:

  • λ = तरंगदैर्ध्य (मीटर में)

  • v = तरंग की गति (मीटर प्रति सेकंड में)

  • f = तरंग की आवृत्ति (हर्ट्ज में)

अर्थात, तरंगदैर्ध्य, तरंग की गति को उसकी आवृत्ति से विभाजित करने पर प्राप्त होती हैै. उदाहरण:

मान लीजिए, एक तरंग की गति 340 मीटर प्रति सेकंड है और इसकी आवृत्ति 500 हर्ट्ज है. तब, तरंगदैर्ध्य होगी:

λ = v / f = 340 m/s / 500 Hz = 0.68 मीटर

यह सूत्र हमें बताता है कि:

  • उच्च आवृत्ति वाली तरंग की तरंगदैर्ध्य कम होती है.

  • निम्न आवृत्ति वाली तरंग की तरंगदैर्ध्य अधिक होती है.


तरंगदैर्ध्य, आवृत्ति तथा ध्वनि की चाल में गणितीय संबंध

ध्वनि, एक प्रकार की यांत्रिक तरंग है जो माध्यम में कंपन के रूप में संचरित होती है, ध्वनि की चाल, आवृत्ति और तरंगदैर्ध्य आपस में गणितीय संबंध से जुड़े हुए हैं.

ध्वनि की चाल - ध्वनि तरंग में किसी निश्चित बिंदु (जैसे, अधिकतम संपीड़न या विरलन का बिंदु) द्वारा एक सेकंड में तय की गई दूरी को ध्वनि की चाल कहते हैं, इसे 'v' से दर्शाया जाता है.

तरंगदैर्ध्य - ध्वनि तरंग में दो क्रमागत संगत बिंदुओं (जैसे, दो क्रमागत शिखर या गर्त) के बीच की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं, इसे 'λ' से दर्शाया जाता है.

आवृत्ति - एक सेकंड में किसी बिंदु से गुजरने वाली तरंगों की संख्या को आवृत्ति कहते हैं, इसे 'f' से दर्शाया जाता है.

आवर्तकाल - एक पूर्ण तरंग को उत्पन्न करने में लगा समय को आवर्तकाल कहते हैं, इसे 'T' से दर्शाया जाता है.

संबंध:

• आवृत्ति और आवर्तकाल परस्पर व्युत्क्रमानुपाती होते हैं, अर्थात f = 1/T

• एक तरंग द्वारा एक आवर्तकाल में तय की गई दूरी एक तरंगदैर्ध्य के बराबर होती है, अर्थात λ = v × T

• उपरोक्त दोनों समीकरणों से, हमें मिलता है: v = f × λ

अर्थात, ध्वनि की चाल = आवृत्ति × तरंगदैर्ध्य

यह समीकरण दर्शाता है कि ध्वनि की चाल, उसकी आवृत्ति और तरंगदैर्ध्य के गुणनफल के बराबर होती है, किसी माध्यम में ध्वनि की चाल स्थिर होती है, इसलिए यदि आवृत्ति बढ़ती है तो तरंगदैर्ध्य घटेगी और यदि आवृत्ति घटती है तो तरंगदैर्ध्य बढ़ेगी, ताकि उनका गुणनफल (ध्वनि की चाल) स्थिर रहे.

FAQ Section: Tarang Dhairya Kise Kahate Hain

प्रश्न - तरंगदैर्ध्य क्या है और इसे किससे मापा जाता है?
उत्तर - तरंगदैर्ध्य किसी भी तरंग (जैसे, प्रकाश, ध्वनि) में दो क्रमागत शिखरों (या दो क्रमागत गर्तों) के बीच की दूरी होती है, इसे मीटर (m) में मापा जाता है, यह एक महत्वपूर्ण भौतिक राशि है जो हमें तरंगों के व्यवहार को समझने में मदद करती है.

प्रश्न - तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति और तरंग की गति के बीच क्या संबंध है?
उत्तर - तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति और तरंग की गति आपस में जुड़ी हुई हैं, इनके बीच संबंध निम्न सूत्र द्वारा दिया गया है: तरंग की गति = तरंगदैर्घ्य × आवृत्ति.  अर्थात, किसी तरंग की गति उसकी तरंगदैर्घ्य और आवृत्ति के गुणनफल के बराबर होती है.

प्रश्न - विभिन्न प्रकार की तरंगों की तरंगदैर्घ्य अलग-अलग क्यों होती है?
उत्तर - ऐसा इस लिए क्योंकि वे अलग-अलग स्रोतों से उत्पन्न और अलग-अलग माध्यमों में यात्रा करती हैं, उदाहरण के लिए, प्रकाश के विभिन्न रंगों की तरंगदैर्घ्य अलग-अलग होती है, रेडियो तरंगों की तरंगदैर्घ्य प्रकाश की तुलना में अधिक होती है, यह अंतर उनकी उत्पत्ति के तरीके और माध्यम के गुणों पर निर्भर करता है.

यह लेख भी पढ़ें -
                • बल किसे कहते हैं

निष्कर्ष: Tarang Dhairya Kise Kahate Hain

इस हिन्दी लेख में हमनें तरंग दैर्घ्य पर विस्तार से चर्चा की, जिसमें आपने जाना कि तरंगदैर्घ्य क्या है, इसे कैसे मापा जाता है और यह ध्वनि की आवृत्ति और गति से किस प्रकार संबंधित है.

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