उपग्रह किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं?

आकाश में चमकते तारे तो आपने देखे होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन तारों के अलावा भी कई वस्तुएं हमारे ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाती रहती हैं? इन्हें ही उपग्रह कहते हैं.

इस लेख में हम उपग्रहों की दुनियां में एक रोमांचक यात्रा पर निकलेंगे, जिसमें हम जानेंगे कि उपग्रह किसे कहते हैं, उपग्रह कितने प्रकार के होते हैं, ये कैसे काम करते हैं, और हमारे दैनिक जीवन में इनका क्या महत्व है.

TOC

उपग्रह किसे कहते हैं?

कोई भी खगोलीय पिंड जो किसी बड़े खगोलीय पिंड के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण उसके चारों ओर चक्कर लगाता है, उसे उपग्रह कहते हैं, उपग्रह दो प्रकार के होते हैं: प्राकृतिक और कृत्रिम. चंद्रमा जो पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, एक प्राकृतिक उपग्रह का उदाहरण है. वहीं, मनुष्य द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए उपकरणों को कृत्रिम उपग्रह कहते हैंं.

Upgrah Kise Kahate Hain

उपग्रहों का इतिहास

मानव ने अंतरिक्ष की खोज में कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर पार किए हैं, इनमें से एक प्रमुख उपलब्धि है उपग्रहों का प्रक्षेपण, विभिन्न देशों ने अंतरिक्ष में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने और विभिन्न उद्देश्यों जैसे संचार, मौसम विज्ञान, पृथ्वी अवलोकन आदि के लिए उपग्रहों का निर्माण और प्रक्षेपण किया है.

सोवियत संघ - 4 अक्टूबर 1957 को सोवियत संघ ने इतिहास का पहला कृत्रिम उपग्रह स्पूतनिक-1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, इस घटना ने अंतरिक्ष युग की शुरुआत का संकेत दिया.

संयुक्त राज्य अमेरिका - अमेरिका ने भी शीत युद्ध के दौरान अंतरिक्ष दौड़ में सक्रिय भागीदारी निभाई और एक्सप्लोरर-1 जैसे कई सफल उपग्रह लॉन्च किए.

चीन - चीन ने 1970 में अपना पहला उपग्रह डोंगफंग होंग-1 लॉन्च किया.

भारत - भारत के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ की सहायता से अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया, आर्यभट्ट एक संचार उपग्रह था.

अन्य देश - चिली, उत्तर कोरिया, लीबिया, बेलारूस सहित कई अन्य देशों ने भी उपग्रह लॉन्च किए हैं, हाल के वर्षों में, निजी कंपनियां भी अंतरिक्ष उद्योग में सक्रिय रूप से शामिल हो रही हैं और कम लागत वाले उपग्रह लॉन्च कर रही हैं.

उपग्रह के मुख्य भाग

उपग्रह अलग-अलग आकार के हो सकते हैं, लेकिन अक्सर ये एक बड़े बॉक्स की तरह दिखते हैं, इन बॉक्सों में कई उपकरण लगे होते हैं जो मिलकर उपग्रह को काम करने में मदद करते हैं.

सौर पैनल - ये उपग्रह के लिए बिजली पैदा करते हैं, ये सूर्य की रोशनी को सोखकर बिजली बनाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे सौर ऊर्जा पैनल हमारे घरों में बिजली बनाते हैं, इस बिजली का इस्तेमाल उपग्रह के सभी उपकरणों को चलाने के लिए किया जाता है.

एंटीना - ये उपग्रह और पृथ्वी के बीच संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं, ये ऐसे ही काम करते हैं जैसे हमारे मोबाइल फोन के एंटीना.

ऑनबोर्ड कंप्यूटर - यह उपग्रह का दिमाग होता है, यह उपग्रह के सभी उपकरणों को नियंत्रित करता है और डेटा को एकत्र करके पृथ्वी पर भेजता है.

कैमरे और सेंसर - ये उपग्रहों की आंखें और कान होते हैं, ये पृथ्वी की तस्वीरें लेते हैं और विभिन्न प्रकार के डेटा जैसे तापमान, हवा की गति आदि को मापते हैं.

नियंत्रण मोटर - ये मोटरें उपग्रह को अपनी जगह पर स्थिर रखने या उसकी दिशा बदलने में मदद करती हैं.

ईंधन टैंक - इन टैंकों में ईंधन होता है जिसका इस्तेमाल उपग्रह को अपनी जगह पर रहने और दिशा बदलने में किया जाता है.

उपग्रहों के प्रकार और उनके कार्य

उपग्रह किसी ग्रह के चारों ओर चक्कर लगाने वाली एक वस्तु होती है, ये हमारे दैनिक जीवन में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाते हैं, आइए विभिन्न प्रकार के उपग्रहों और उनके कार्यों को विस्तार से समझते हैं.

1. संचार उपग्रह - ये उपग्रह पृथ्वी के दूर-दराज के क्षेत्रों में टेलीविज़न सिग्नल, टेलीफोन कॉल, इंटरनेट डेटा और अन्य प्रकार के डेटा को प्रसारित करने में मदद करते हैंं, ये उपग्रह पृथ्वी की सतह से काफी ऊंचाई पर स्थित होते हैं और एक विशाल क्षेत्र को कवर करते हैंं, इनका उपयोग टेलीविज़न प्रसारण, मोबाइल फोन नेटवर्क, इंटरनेट सेवाएं और उपग्रह रेडियो जैसी सेवाओं के लिए किया जाता हैै.

2. मौसम उपग्रह - ये उपग्रह बादलों, तूफानों, समुद्र की लहरों, बर्फ और अन्य मौसमी घटनाओं की निगरानी करते हैं, इनसे प्राप्त आंकड़ों का उपयोग मौसम पूर्वानुमान लगाने, प्राकृतिक आपदाओं की चेतावनी देने और जलवायु परिवर्तन का अध्ययन करने में किया जाता है.

3. पृथ्वी अवलोकन उपग्रह - ये उपग्रह पृथ्वी की सतह की उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें लेते हैं, इनका उपयोग वन विनाश, कृषि, शहरी विकास, जल संसाधन प्रबंधन, भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियों की निगरानी, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है, Google Earth जैसी सेवाएं इन उपग्रहों द्वारा प्रदान की गई तस्वीरों पर आधारित हैं.

4. नेविगेशन उपग्रह - ये उपग्रह GPS (Global Positioning System) जैसी सेवाओं के लिए आवश्यक होते हैं, ये उपग्रह पृथ्वी की सतह पर किसी भी स्थान का सटीक स्थान निर्धारित करने में मदद करते हैं, इनका उपयोग नेविगेशन सिस्टम, मैपिंग एप्स, और वाहन ट्रैकिंग सिस्टम में किया जाता है.

5. सैन्य उपग्रह - इन उपग्रहों का उपयोग सैन्य गतिविधियों की निगरानी, संचार, और खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए किया जाता है, ये उपग्रह दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखते हैं, सैन्य संचार को सुरक्षित रखते हैं, और युद्ध क्षेत्र में जानकारी एकत्र करते हैं.

6. खगोल विज्ञान उपग्रह - ये उपग्रह अंतरिक्ष में तारों, ग्रहों, आकाशगंगाओं और अन्य खगोलीय पिंडों का अध्ययन करते हैं, ये उपग्रह पृथ्वी के वायुमंडल के बाहर स्थित होते हैं, जिससे वे पृथ्वी से दिखाई न देने वाली खगोलीय घटनाओं का अध्ययन कर सकते हैं, हबल स्पेस टेलीस्कोप एक प्रमुख उदाहरण है.

7. मानवयुक्त उपग्रह - ये उपग्रह अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में रहने और विभिन्न प्रकार के प्रयोग करने की सुविधा प्रदान करते हैं, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) एक प्रमुख उदाहरण है.

8. छोटे उपग्रह (Small Satellites) - ये सैटेलाइट आकार में छोटे होते हैं और विभिन्न उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि पृथ्वी का अवलोकन, संचार, वैज्ञानिक प्रयोग, और शिक्षा, इन उपग्रहों को लॉन्च करना अपेक्षाकृत सस्ता होता है, जिससे छोटे संगठन और विश्वविद्यालय भी अंतरिक्ष अनुसंधान में भाग ले सकते हैं.

उपग्रहों की कक्षाएं

उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर विभिन्न ऊंचाइयों पर चक्कर लगाते हैं, उनकी कक्षा उनके कार्य और क्षमताओं को निर्धारित करती है.

लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) - यह पृथ्वी की सतह के सबसे निकट की कक्षा है, इस कक्षा में उपग्रह उच्च गति से पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं और उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली तस्वीरें ले सकते हैं, अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) इसी कक्षा में स्थित है, LEO कक्षा का उपयोग पृथ्वी अवलोकन, मौसम विज्ञान और संचार जैसे कार्यों के लिए किया जाता है. उदाहरण के लिए, भारत का रिमोट सेंसिंग उपग्रह RISAT पृथ्वी की तस्वीरें लेने के लिए LEO का उपयोग करता है.

मध्यम पृथ्वी कक्षा (MEO) - यह LEO और उच्च पृथ्वी कक्षा (HEO) के बीच स्थित होती है, GPS उपग्रह इसी कक्षा में स्थित होते हैं, ये उपग्रह पृथ्वी की नेविगेशन प्रणाली का एक महत्वपूर्ण अंग हैं, MEO कक्षा में स्थित उपग्रहों को LEO की तुलना में पृथ्वी की परिक्रमा करने में अधिक समय लगता हैै.

उच्च पृथ्वी कक्षा (HEO) - यह पृथ्वी की सतह से सबसे दूर की कक्षा होती है, भू-समकालिक उपग्रह इसी कक्षा में स्थित होते हैं, ये उपग्रह पृथ्वी के घूर्णन के साथ ही घूमते हैं, जिससे वे पृथ्वी की सतह पर एक निश्चित बिंदु के ऊपर स्थिर दिखाई देते हैं, भारत का INSAT उपग्रह एक उदाहरण है जो संचार के लिए HEO का उपयोग करता है, HEO कक्षा का उपयोग संचार, मौसम विज्ञान और सैन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है.

विभिन्न कक्षाओं के उपयोग

निम्न पृथ्वी कक्षा - पृथ्वी के सबसे निकट होने के कारण, यह कक्षा पृथ्वी अवलोकन, मौसम विज्ञान और अंतरिक्ष स्टेशनों के लिए अत्यंत उपयोगी है.

मध्यम पृथ्वी कक्षा - GPS और अन्य नेविगेशन प्रणालियों के लिए उपयोगी उपग्रह इस कक्षा में स्थित होते हैं, ये उपग्रह पृथ्वी की सतह पर किसी भी बिंदु की स्थिति को अत्यंत सटीकता के साथ निर्धारित करते हैं.

उच्च पृथ्वी कक्षा - संचार और टेलीविज़न प्रसारण के लिए यह कक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण है, भू-स्थिर उपग्रह इसी कक्षा में स्थित होते हैं जो पृथ्वी की सतह पर एक ही बिंदु के ऊपर स्थिर दिखाई देते हैंं.

उपग्रहों की कक्षाएँ उनके कार्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती हैं, उदाहरण के लिए मौसम उपग्रहों को पृथ्वी की सतह का लगातार अवलोकन करने के लिए ध्रुवीय कक्षा में रखा जाता है, जबकि संचार उपग्रहों को पृथ्वी के एक ही क्षेत्र को लगातार कवर करने के लिए भू-स्थिर कक्षा में रखा जाता है.

उपग्रहों को कैसे लॉन्च किया जाता है?

उपग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में भेजने के लिए विशाल रॉकेटों का इस्तेमाल किया जाता है, ये रॉकेट इतने शक्तिशाली होते हैं कि वे उपग्रह को पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से ऊपर उठाकर एक निश्चित ऊंचाई पर ले जा सकते हैं, रॉकेट कई चरणों में काम करता है और अंत में उपग्रह को उसकी निर्धारित कक्षा में छोड़ देता है.

उपग्रह कितने समय तक काम करते हैं?

एक उपग्रह कितने समय तक काम करता है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि वह कैसे बनाया गया है और कहाँ रखा गया है, आमतौर पर, उपग्रह 5 से 15 साल तक काम करते हैं, कुछ उपग्रह 20 साल से भी अधिक समय तक काम करते रहते हैं, लेकिन समय के साथ उपग्रह के उपकरण खराब हो जाते हैं और ईंधन खत्म हो जाता है, जिससे वह काम करना बंद कर देता है.

उपग्रहों से हमें क्या लाभ होते हैं?

उपग्रह हमारे दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए हैं, वे संचार, मौसम की भविष्यवाणी, नेविगेशन, पृथ्वी की तस्वीरें लेने और कई वैज्ञानिक अनुसंधानों में मदद करते हैं, उदाहरण के लिए, हम उपग्रहों की मदद से दुनिया के किसी भी कोने में बैठकर अपने दोस्तों और परिवार से बात कर सकते हैं, मौसम के बारे में जान सकते हैं और GPS का उपयोग करके अपनी जगह का पता लगा सकते हैं.

उपग्रहों से जुड़ी चुनौतियाँ

उपग्रहों को बनाने और अंतरिक्ष में भेजने में बहुत पैसा खर्च होता है, इसके अलावा, अंतरिक्ष में बहुत सारा कचरा जमा हो गया है, जो अन्य उपग्रहों और अंतरिक्ष यान के लिए खतरा बन गया है, इसके अलावा उपग्रहों पर हमले का खतरा भी बढ़ गया है.

FAQ section: Upgrah kise kahate hain

प्रश्न - उपग्रह एक दूसरे से क्यों नहीं टकराते हैं?
उत्तर - उपग्रह पृथ्वी के चारों ओर विभिन्न कक्षाओं में चक्कर लगाते हैं, इन कक्षाओं को बहुत सावधानी से चुना जाता है ताकि उपग्रह एक-दूसरे से टकरा न सकेंं, इसके अलावा, उपग्रहों की स्थिति पर लगातार नजर रखी जाती है और उनकी कक्षाओं में जरूरत पड़ने पर बदलाव किए जाते हैं.

प्रश्न - सेटेलाइट ऊपर हवा में कैसे टिके रहते हैं?
उत्तर - उपग्रह को एक निश्चित गति और ऊँचाई पर प्रक्षेपित किया जाता है, जिससे वह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल और अपनी कक्षीय गति के बीच संतुलन में रहता है, इस संतुलन के कारण उपग्रह लगातार पृथ्वी के चारों ओर एक निश्चित पथ पर चक्कर लगाता रहता है.

प्रश्न - सैटेलाइट खराब होने के बाद धरती पर क्यों नहीं गिरती है?
उत्तर - जब कोई उपग्रह खराब हो जाता है या अपना काम करना बंद कर देता है, तो वह धीरे-धीरे अपनी कक्षा से हटकर पृथ्वी की ओर आने लगता है, लेकिन जब यह पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो वायुमंडल के साथ घर्षण के कारण यह बहुत अधिक गर्म हो जाता है और आमतौर पर जलकर नष्ट हो जाता है, कुछ बड़े टुकड़े कभी-कभी पृथ्वी पर गिर जाते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम होती है.

प्रश्न - उपग्रहों में बिजली कहाँ से आती है?
उत्तर - अधिकांश उपग्रहों में बिजली सौर पैनलों से प्राप्त होती है, ये सौर पैनल सूर्य की रोशनी को अवशोषित करते हैं और उसे बिजली में बदल देते हैं, इस बिजली का उपयोग उपग्रह के विभिन्न उपकरणों को चलाने के लिए किया जाता है, कुछ उपग्रहों में बैटरी भी होती हैं जो रात के समय या जब सौर पैनल सूर्य की रोशनी प्राप्त नहीं कर पाते हैं, तब बिजली प्रदान करती हैं.

प्रश्न - उपग्रहों से संचार कैसे होता है?
उत्तर - उपग्रह रेडियो तरंगों का उपयोग करके पृथ्वी पर स्थित स्टेशनों के साथ संचार करते हैं, ये रेडियो तरंगें अंतरिक्ष में बहुत लंबी दूरी तक यात्रा कर सकती हैं, उपग्रह इन तरंगों को प्राप्त करते हैं और उन्हें पृथ्वी पर स्थित स्टेशनों को भेजते हैं, इसी तरह, पृथ्वी पर स्थित स्टेशन भी उपग्रहों को संदेश भेज सकते हैं, इस प्रक्रिया को उपग्रह संचार कहा जाता है.

यह लेख भी पढ़ें -
                  • वायुमंडल क्या है? 

निष्कर्ष: Upgrah Kise Kahate Hain hindi me

उपग्रह, मानव सभ्यता की एक अद्भुत उपलब्धि हैं, जिन्होंने हमारे जीवन को कई तरह से बदल दिया है, इन चमकदार बिंदुओं ने हमें संचार, मौसम विज्ञान, नेविगेशन और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में असीम संभावनाएं प्रदान की हैं.

इस हिंदी लेख में आपने उपग्रहों के बारे में विस्तार से जाना, आपने समझा कि उपग्रह क्या हैं, इनका इतिहास, प्रकार, कार्य और महत्व क्या है, इसके साथ ही आपने यह भी जाना कि ये उपग्रह हमारे ग्रह की परिक्रमा कैसे करते हैं और हमारे दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं.

उम्मीद है, आपको उपग्रह किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं, लेख पसंद आया होगा. यदि हां, तो इस लेख को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.

Comments

  1. Deepika negi6:34 PM

    Very nice information, thanks

    ReplyDelete
  2. Edifying time6:39 PM

    धन्यवाद

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular post

गुरुत्वाकर्षण क्या है और गुरुत्वाकर्षण कैसे काम करता है

पर्वत किसे कहते हैं तथा यह कितने प्रकार के होते हैं?

प्रकाश का परावर्तन क्या है इसके नियम और प्रकार

इंद्रधनुष क्या है और इन्द्रधनुष कैसे बनता है

(चंद्रमा के बारे में 17+ रोचक तथ्य) Chandrama ke baare me rochak tathya