What is Bounce Rate in Hindi: बाउंस रेट क्या है?
हर ब्लॉगर को कभी न कभी Bounce Rate का सामना करना पड़ता है और यह एक ऐसी Matrix है जिसका अधिक होना ब्लॉगर के लिए चिंता का विषय बन जाता है.
इस लेख में हम जानेंगे कि बाउंस रेट क्या है, इसका अधिक होना ब्लॉग के लिए क्यों नुकसानदायक है और बाउंस रेट को कम कैसे किया जाता है. इस लेख में हमने आपको 5 बेहतरीन तरीके बताए हैं जिनसे आप Bounce Rate को कम कर सकते हैं.
बाउंस रेट क्या है (What is Bounce Rate in Hindi)
Bounce Rate दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें Bounce का मतलब होता है उछलना या कूदना, और Rate का मतलब होता है प्रतिशत या दर. एक ब्लॉग या वेबसाइट के लिए Bounce Rate का मतलब होता है उछलने की दर या औसत.
जब भी कोई विजिटर किसी वेबसाइट पर आता है और सिर्फ एक पेज पढ़ने के बाद बिना कोई दूसरा पेज पढ़े तुरंत उस वेबसाइट से वापस चला जाता है या दूसरे शब्दों में हमारी साइट से एग्जिट कर लेता है तो इसे बाउंस कहा जाता है, और ऐसे बाउंस के औसत माप को बाउंस रेट कहा जाता है.
Bounce Rate की परिभाषा
बाउंस रेट एक महत्वपूर्ण वेब एनालिटिक्स मेट्रिक है, इसे हम इस प्रकार परिभाषित कर सकते हैं.
किसी वेबसाइट पर आने वाले Visitors में से उन Visitors का प्रतिशत जो किसी एक Webpage को देखने के बाद बिना किसी अन्य पेज पर गए वेबसाइट छोड़ देते हैं, उसे बाउंस रेट कहते हैं.
माना कि किसी वेबसाइट का बाउंस रेट 70 प्रतिशत है, तो इसका मतलब है कि उस वेबसाइट पर आने वाले कुल Visitors में से 70 प्रतिशत Visitors किसी Webpage को देखने के बाद साइट को ही एग्जिट कर देते हैं.
अभी तक हम समझ गए हैं कि What is Bounce Rate in Hindi, अब जानते हैं कि बाउंस रेट अधिक होने से वेबसाइट की रैंकिंग में क्या प्रभाव पड़ता है.
बाउंस रेट का SEO पर प्रभाव (Bounce Rate Effect in SEO)
जब किसी वेबसाइट का Bounce Rate ज़्यादा होता है तो इससे सर्च इंजन को यह संकेत मिलता है कि वेबसाइट यूजर्स के लिए उतनी उपयोगी नहीं है, जितनी होनी चाहिए. जब सर्च इंजन को यह नकारात्मक संकेत मिलता है तो वेबसाइट की रैंकिंग गिरने लगती है, जिससे वेबसाइट पर ट्रैफ़िक कम होता है, कम ट्रैफ़िक का सीधा प्रभाव वेबसाइट से होने वाली कमाई पर पड़ता है, इसलिए बाउंस रेट को कम करना बहुत ज़रूरी है.
हालांकि हर बार बाउंस रेट का ज़्यादा होना ख़राब Signal नहीं होता है, क्योंकि कई यूजर वेबपेज पर आते हैं, अपनी ज़रूरत की जानकारी लेते हैं और फिर चले जाते हैं, यह स्थिति तब होती है जब यूजर को उसकी जानकारी मिल जाती है, लेकिन अगर यूजर तुरंत किसी दूसरी वेबसाइट पर चला जाता है तो इसे Pogo Sticking कहते हैं.
Pogo Sticking हमेशा किसी वेबसाइट की रैंकिंग के लिए खराब Signal संकेत होता है, क्योंकि इससे पता चलता है कि यूजर को वेबसाइट पर वह नहीं मिला जिसकी उसे तलाश थी.
Bounce Rate को कम कैसे करें?
बाउंस रेट को कम करने के कुछ इफेक्टिव तरीके हैं जिससे आप अपनी वेबसाइट का बाउंस रेट कम कर सकते हैं.
1. Internal Linking बेहतर तरीके से करें
Internal Linking बाउंस रेट को कम करने का सबसे Effective तरीका है, अपने आर्टिकल में हमेशा Related पोस्ट को ही लिंक करें, जैसे आप इस आर्टिकल को पढ़ रहे हैं जो कि बाउंस रेट पर लिखा गया है और यह SEO से Related है, इसलिए मैंने इस आर्टिकल में अन्य SEO से Related लेखों को ही लिंक किया है.
ऐसा करने से विज़िटर के अन्य Related पोस्ट पर जाने की संभावना बढ़ जाती है, यदि मैं इस आर्टिकल में इंटरनेट या मोबाइल से संबंधित पोस्ट को लिंक करता, तो कोई भी विज़िटर उन आर्टिकल पर नहीं जाता क्योंकि विज़िटर SEO के बारे में जानना चाहता है.
2. वेबसाइट को Good Looking बनाएं
वेबसाइट का Look भी Visitor का ध्यान खीचने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण फैक्टर है, जिस वेबसाइट का डिजाइन जितना सरल और अच्छा होगा उस वेबसाइट में Visitor रुकना पसंद करेंगे और उस साइट पर अधिक समय तक बने रहेंगे. वेबसाइट का अच्छा look बनाने के लिए आप कोई भी Simple Theme का प्रयोग कर सकते हैं.
3. Content को बढ़िया और User Friendly बनाएं
वेबसाइट का कंटेंट Internal linking और वेबसाइट की Look से भी महत्वपूर्ण होता है. जिस वेबसाइट पर अच्छा कंटेंट नहीं होता है उसमे कोई भी Visitor आना पसंद नहीं करेगा. कंटेंट हमेशा User Friendly होना चाहिए जिससे विजिटर को पढने में आनंद आए और वह वेबसाइट से कुछ नया सीख सकें.
4. Page Speed को सही रखें
आजकल यूजर तुरंत परिणाम चाहते हैं, यदि आपकी वेबसाइट को Load होने में अधिक समय लगता है तो यूजर इंतजार नहीं करेंगे और आपकी वेबसाइट को Skip कर देंगे, इसलिए वेबसाइट की Speed को बेहतर बनाना SEO की दृष्टि से बहुत जरूरी है, आप अपनी वेबसाइट की स्पीड को बढ़ाने के लिए कई टेक्नीक अपना सकते हैं जैसे कि इमेज को कंप्रेस करना, CSS और JavaScript को मिनिफाई करना और एक फास्ट होस्टिंग का चुनाव करना.
स्पीड बढाने के साथ साथ वेबसाइट को Mobile Friendly बनाना भी बहुत जरुरी हैं, क्योंकि अब ज्यादातर लोग मोबाइल से ही ब्लॉग पढ़ते हैं. वेबसाइट की अच्छी स्पीड भी बाउंस रेट को कम करने में बहुत मददगार साबित होती है.
5. अपने Visitors को पहचानें
अपने Visitors को समझना बेहद जरूरी है, हर महीने कम से कम दो बार Google Analytics और Google Search Console की मदद से यह जानें कि आपके Visitors किस तरह के कंटेंट को पसंद कर रहे हैं, फिर उसी तरह के कंटेंट अपनी साइट पर डालें, इससे विजिटर्स आपके ब्लॉग पर अधिक कंटेंट को पढेंगे और आपके वेबसाइट का बाउंस रेट कम होगा.
वेबसाइट का बाउंस रेट कितना होना चाहिए?
इसका कोई सटीक जवाब नहीं हैं, वैसे आज के Time में कोई भी यूजर बस अपनी काम की चीज पढ़ते हैं और फिर वापस चले जाते हैं ऐसे में लगभग सभी वेबसाइट का बाउंस रेट अधिक होता है. 35 से 70 प्रतिशत तक बाउंस रेट वाली वेबसाइट को आदर्श माना जाता है.
यदि किसी वेबसाइट का बाउंस रेट 1 से 20 प्रतिशत तक है तो वह सबसे कामयाब वेबसाइट है और किसी वेबसाइट का बाउंस रेट 80% से अधिक है तो उस वेबसाइट का बाउंस रेट सुधारने की बहुत जरुरत है.
अपनी वेबसाइट का बाउंस रेट कैसे चेक करें
यदि आप किसी भी वेबसाइट का Bounce Rate चेक करना चाहते हैं तो Google पर कई टूल्स उपलब्ध हैं जो किसी भी वेबसाइट का बाउंस रेट आसानी से बता देंगे. बस सर्च बार में Bounce Rate Checker टाइप करें और आप अपनी पसंद का टूल चुन सकते हैं.
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निष्कर्ष: बाउंस रेट क्या है
बाउंस रेट एक महत्वपूर्ण वेब एनालिटिक्स मेट्रिक है जो यह दर्शाता है कि यूजर्स आपकी वेबसाइट पर कितना समय बिताते हैं, High Bounce Rate का मतलब है कि यूजर्स आपके कंटेंट से संतुष्ट नहीं हैं या वे जो Search कर रहे हैं उन्हें वह नहीं मिल रहा है.
इस आर्टिकल के माध्यम से आपने जाना कि बाउंस रेट क्या होता है (What is Bounce rate in Hindi) और इसको कम कैसे करें, साथ ही आपने यह भी जाना कि वेबसाइट का बाउंस रेट कितना होना चाहिए.
उम्मीद है आपको What is Bounce Rate in Hindi: बाउंस रेट क्या होता है. लेख पसंद आया होगा. यदि हां, तो इस लेख को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करें. लेख में अंत तक बने रहने के लिए धन्यवाद.
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